Aunty Ji
Love Matters India

बस में रोज़ उत्पीड़न: मैं क्या करूँ?

द्वारा Auntyji मार्च 5, 01:27 बजे
हेलो आंटी जी, मैं रोज़ बस से कॉलेज जाती हूँ और आये दिन मुझे या तो कोई गंदी तरह से देख रहा होता है या फ़िर अनुपयुक्त स्थान पर छू रहा होता हैI मैं इस सबसे तंग आ चुकी हूँ लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मुझे क्या करना चाहिएI प्लीज़ मेरी मदद कीजिये! नेहा,19, दिल्ली

आंटी जी कहती हैं.. पुत्तर आज तो तूने मेरी दुखती रग छू लीI मैं तेरी परेशानी समझ सकती हूँI

जेल है क्या?

सबसे पहले तो पुत्तर जी यह समझ लो कि इसमें आपकी कोई गलती नहीं हैI ना ही इसमें तेरे पहनावे  या तू कैसी दिखती है उसकी कोई गलती हैI इसमें गलती है तो हमारे आसपास मौजूद उन बेवक़ूफ़ लोगों की जो ना जाने क्या साबित करना चाहते हैंI समझी बेटा? बस दुःख की बात यह है कि ऐसे लोगों की तादाद आये दिन बढ़ती जा रही हैI

तो यह 'सज्जन' पुरुष क्या चाहते हैं? कि लडकियां अपने घरों से बाहर ना निकलें? कि वे एक जेल की तरह अपने घर में एक कमरे में बंद होकर पूरी ज़िंदगी बिता दें? क्यूंकि यह आदमी अपने हाथ पाँव सिर्फ़ अपने तक सीमित नहीं रख सकतेI हद ही हो गयी!

बस बहुत हो गया

नेहा पुत्तर तू मेरी एक गल्ल सुन - अब यह मौन व्रत तोड़ने का समय आ गया हैI तू अपने आपको रोकना बंद करI और सिर्फ़ तू ही क्यों? उन सभी लड़कियों को इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए जिनके लिए यह सब सहना रोज़मर्रा की बात बन गया है - बेटा, अब सहना बंद करोI

बरसो से, महिलाओं और लड़कियों को चुप रहना ही सिखाया जाता है - कोई बात नहीं यह तो होता ही है, 'तुम कुछ मत बोलो वो अपने आप परेशान करना बंद कर देगा/देंगेI बस यही वजह है कि इन बुज़दिलों की हिम्मत बढ़ती जाती है क्यूंकि उन्हें लगता है कि इस लड़की में तो 'उसे कुछ भी कहने की हिम्मत ही नहीं है'

तमाशा बना दो

बेटा मैं तो कहूंगी कि चुप रहना तो दूर की बात है तू इतना शोर मचा कि बस में तुझे या किसी और को परेशान करने वाले का ही तमाशा बन जाएI हम चुप रह कर क्यों सब सहते जाएँ? इसमें ना ही कोई महानता है और ना ही कोई बड़प्पनI

बरसो से चल रहे नारीवादी संघर्ष कि बदौलत आज हम उस मुकाम पर तो पहुँच ही गए हैं कि तेरे उठाये गए एक छोटे से कदम से कम से कम तू उस व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से तो शर्मिन्दा करवा ही पाएगीI वैसे भी शर्म उसको आनी चाहिए बेटा, तुझे नहींI

मेरा शरीर सिर्फ़ मेरा है

यह शरीर आपका है - एक तरह से आपका घर है - क्यूंकि आप इसमें रहते हैं! क्या हम किसी भी अजीब व्यक्ति को अपने घर में घुसने कि इजाज़त देते हैं? हम उन्हें बाहर ही रोक देते हैं - कहां घुसे चले आ रहे हो? तो यहाँ भी ऐसा ही होना चाहिएI उन्हें वहीँ रोक दो, बाहर से ही बाहर का रास्ता दिखा दोकिसी को भी आपके शरीर को छूने या देखने का अधिकार नहीं है - जब तक आप खुद यह नहीं चाहतेI तो यदि आपको यह पसंद नहीं है और आप यह नहीं चाहते हैं - तो मना कर दें - वो भी ज़ोर से!

घूरना बंद करो!

नेहा पुत्तर, अपनी सुरक्षा का ख्याल रखना - केवल 'महिला की समस्या' ही नहीं हो सकतीI यह तो एक साझा जिम्मेदारी होनी चाहिएI लड़कियों को सुरक्षित रखेंI घर पर बंद करके या कहीं दूर भेजकर नहींI बल्कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी किसी लड़की को देखकर सीटी नहीं बजा रहा है, टीका टिप्पणी नहीं कर रहा है और उनके आत्मसम्मान को किसी भी प्रकार से चोट नहीं पहुंचा रहा हैI तभी हम सही मायनो में कह सकते हैं की हमारे समाज में लड़कियां सुरक्षित महसूस करती हैंI

तो बेटा पीछे मत हटो और ना ही हिम्मत हारोI शोर मचाओ, तमाशा बनाओ और वो सब करो जिससे वो आदमी दोबारा ऐसा कुछ भी करने से पहले हज़ार बार सोचेI तेरे ऐसा करने से सिर्फ़ तुझे ही फ़ायदा नहीं पहुंचेगा बल्कि इससे कई और लड़कियों को भी हिम्मत मिलेगी जिनके साथ यह सब होता हैI तो पुत्तर अब डर मत और बेख़ौफ़ होकर उस बाद में चढ़ जा!

नाम बदल दिए गए हैं

तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया है

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