आंटी जी, 'अरे बेटी, इस के लिए कोई टेलीग्राम नहीं आता!'
शरीर के इशारे
सना बेटा, सबसे पहली बात यह कि ऐसा मत सोचो कि ऑर्गेज्म गाजे बाजे के साथ आता है। कभी ऑर्गेज्म से पहले कुछ संकेत मिलते हैं और कभी नहीं। अगर तुम कुछ बड़ा होने के इंतज़ार में बैठी हो तो शायद ऐसा कुछ नहीं होगा और तुम्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी... समझी की नहीं? इसलिए सबसे पहले यह समझना बेहद ज़रूरी है कि तुम जिस चीज़ का इंतजार कर रही हो वो है क्या और तुम्हें इसका पता कैसे चलेगा।
बॉडी टॉक
सच बताऊं बेटा तो होता क्या है कि सेक्स के दौरान एक अच्छे फोरप्ले में गले लगाना, किस करने समेत कई चीजें होती हैं जो बहुत ज़रूरी होती हैं। शॉर्ट कट में बोलें तो यह एक्साइटमेंट वाला फेज होता है।
इसके बाद सेक्स में तुम जितनी दिलचस्पी से आगे बढ़ती जाती हो तुम्हारी उत्तेजना उतनी ही चरम पर पहुंचने लगती है। एक फेज आता है जिस समय उत्तेजना एकदम टॉप पर रहती है और उस समय बहुत ही अच्छी फीलिंग आती है, मोटा मोटा बोले तो इसी फीलिंग को ऑर्गेज्म कहा जाता है। लेकिन सच कहूं तो हर किसी को अलग तरीके से ऑर्गेज्म फील होता है। अब सवाल ये है, कि ये पता कैसे चलेगा... है ना?
देखो ...पुरुषों में ऑर्गेज्म बहुत आसानी से पता चल जाता है। जब पुरुषों की उत्तेजना एकदम चरम पर रहती है तो उस समय पेनिस से चिपिचिपा सफेद रंग का पदार्थ निकलता है। इसे वीर्य या सीमेन कहते हैं। कभी-कभी ये ज़्यादा निकलता है कभी कम। इस स्खलन (इजैकुलेशन) को ही पुरुषों का ऑर्गेज्म माना जाता है। हालांकि महिलाओं में भी ऐसा ही होता है लेकिन स्खलन या डिस्चार्ज बहुत कम होता है। इसकी जगह महिलाओं को एक्साइटमेंट और गीलापन ज़्यादा महसूस होता है।
दोनों की तुलना करना ही सबसे बड़ी समस्या है। यह समझना बेहद ज़रूरी है कि पुरुषों का शरीर महिलाओं से बहुत अलग है और हर किसी को सेक्स का अनुभव अलग तरीके से होता है! इसका कोई नियम नहीं है!
ऑर्गेज्म के रंग हज़ार
तुम्हारा बॉयफ्रेंड सोच रहा होगा कि ‘तुम्हारा ऑर्गेज्म उसके जैसा होना चाहिए’ और तुम सोचती हो कि 'मेरा ऑर्गेज्म उसकी तरह होना चाहिए?' इस चक्कर में तुम दोनों यह भूल जाते हो कि असली ऑर्गेज्म तो सेक्स के दौरान मिलने वाला मज़ा ही है ...जिसे तुम दोनों अभी मिस कर रहे हो।
ऑर्गेज्म का एहसास काफी एक्साइटिंग, मजेदार और थ्रिल से भरपूर होता है। हर कोई अपने तरीके से ऑर्गेज्म के एहसास को बयां करता है। यह फीलिंग हर किसी में अलग-अलग हो सकती है। यहां तक की हर बार सेक्स के दौरान अलग-अलग समय पर भी ऑर्गेज्म की फीलिंग अलग हो सकती है।
आहा से लेकर ओ तक!
मेरा तो यही कहना है कि ऑर्गेज्म हुआ या नहीं इस चक्कर में पड़ो ही मत । बस उस पल को जियो और फीलिंग के साथ एक दूसरे की बॉडी को टच करते हुए सेक्स को एंजॉय करो। सेक्स करते समय रिजल्ट के बारे में कुछ मत सोचो।
सवाल आप दोनों को ख़ासतौर पर पुरुषों को अपने पार्टनर से पूछना चाहिए कि, 'तुम्हें कितना अच्छा लगा’ ना कि ये कि ‘ऑर्गेज्म हुआ कि नहीं ? बॉडी साइन पर थोड़ा ध्यान दो कि तुम्हारे पार्टनर की बॉडी क्या रिस्पांड कर रही है और कैसा फील कर रही है। आपस में बातचीत करके यह पता करने की कोशिश करो कि तुम्हें या उसे क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं। फ़िर देखो सेक्स में कितना मजा आता है।
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